*इफको ने गांव रिहोड़ में किसानों को बांटे 300 निशुल्क कम्बल*

*- किसान अपनी फसल का ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण अवश्य करवाएं-डाॅ. सुरेन्द्र यादव*

इफको द्वारा पंचकूला के गांव रिहोड में निशुल्क कम्बल वितरण कार्यक्रम का आयोजन कर जरुरतमंद व किसानों को 300 कम्बल वितरित किए गए। इस अवसर पर उप कृषि निदेशक डा. सुरेन्द्र यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता इफको चन्डीगढ के राज्य विपणन प्रबन्धक डा. पुष्पेन्द्र वर्मा ने की। इस अवसर पर उप कृषि निदेशक डा. सुरेन्द्र यादव ने किसानों से अपील करते हुये कहा कि किसान अपनी फसल का ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण अवश्य करवाएं ताकि फसल बेचने के समय उन्हें कोई परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत धान की फसल के स्थान पर अन्य फसल लेने पर आर्थिक सहायता दी जाती है। अनूसूचित जाति के किसानों को ट्रैक्टर खरीदने पर भी सबसीडी का प्रावधान किया गया है। उन्होने बताया कि प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत लाभान्वित होने वाले किसानों का ई-केवाईसी आवशयक है। इसके लिये किसान का बैंक खाता व आधार नंबर लिंक होना चाहिये। उन्होंने बताया कि पंचकुला जिला में लगभग 25 प्रतिशत किसानों का ई-केवाईसी सत्यापित नहीं हुआ है जिसको किसान अवश्य पुरा करवा लें। उन्होने बताया कि किसान फसल बीमा अवश्य करवायें ताकि किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय किसानों के नुकसान की भरपाई हो सके। उन्होने कहा कि कृषि विभाग किसानों की मदद के लिये सदैव तत्पर है।इस अवसर पर इफको चन्डीगढ के राज्य विपणन प्रबन्धक डा. पुष्पेन्द्र वर्मा ने बताया कि इफको किसानों की अपनी सहकारी संस्था है जो समय-समय पर सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम आयोजित कर किसानों की मदद करती है। उन्होने बताया कि किसानों को समय के साथ खेती के तौर तरिकों में बदलाव की आवश्यकता है जिससे अच्छे उत्पादन के साथ-साथ मिट्टी का स्वास्थय भी बरकरार रखा जा सके। उन्हांेंने कहा कि यूरिया के अत्यधिक प्रयोग से जमीनों के स्वास्थय में लगातार गिरावट आ रही है। यूरिया का हमारी फसलें केवल 30 प्रतिशत हिस्सा ही प्रयोग कर पाती हैं बाकि 70 प्रतिशत हिस्सा बेकार चला जाता है। यूरिया के प्रयोग से नाइट्र्स ऑक्साईड गैस विसर्जित होती है जो पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि जमीनों के जैविक कार्बन के स्तर में गिरावट आई है।यूरिया के दूष्प्रभावों को देखते हुए इफको द्वारा नैनो यूरिया विकसित किया गया है, जिसकी आधा लीटर की एक बोतल एक बोरे दानेदार यूरिया के ब