संक्रांति भारत वर्ष में मनाया जाने वाला बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन लोगों द्वारा घरों में गुड़ और तिल के लड्डू बनाये और खाये जाते हैं। मकर संक्रांति पर सिर्फ गुड़ और तिल के लड्डू ही नहीं बनाये जाते, बल्कि इस पर्व पर इस दिन पतंग उड़ाना बहुत प्रसिद्द है।
संक्रांति के दिन देश भर में पतंग उड़ाई जाती है. कही-कहीं तो बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताएं तक आयोजित की जाती हैं, जिसमें पूरे देश के पतंगबाज़ शामिल होते हैं और अपने दांव-पेचों से अपना ही नहीं दूसरों का भी मनोरंजन करते हैं।
क्यों उड़ाई जाती है पतंग?
मकर संक्रांति पर पूरे देश में पतंग उड़ाई जाती है, इसलिए इसे पतंग पर्व भी कहा जाता है। संक्रांति पर पतंग उड़ाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। दक्षिण भारत में पौराणिक ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत की थी। ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्र लोक में चली गई थी। इसके बाद से आज भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है।
शुभ काम फिर से होते है शुरू
चंडीगढ़ के जाने माने ज्योतिषार्चाय विजय मानव के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चले जाते हैं। इसी दिन से खरमास खत्म हो जाता है और शुभ काम फिर से शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा जी में स्नान करना और दान करने का विशेष महत्व है।
सनातन धर्म के महत्वपूर्ण पर्व में से एक मकर संक्रांति इस साल ग्रहों के फेरबदल के कारण 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मनाई जा रही है।
वैज्ञानिक महत्व
अगर बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तो पतंग उड़ाने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है. पतंग उड़ाने से दिमाग और दिल का संतुलन बना रहता है. पतंग को धूप में उड़ाया जाता है, जिससे हमारे शरीर को विटामिन-डी भरपूर मात्रा में मिलता है और स्किन से सम्बंधित बीमारियां नहीं होती हैं.
मकर संक्रांति का पर्व ठण्ड में पड़ता है और ठण्ड में हमारे शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है और त्वचा भी रूखी हो जाती है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। इस समय सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं। इसलिए इस पर्व पर पतंग उड़ाने को शुभ माना जाता है.