रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित महिला की हुई सफल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी

रागा न्यूज जोन चंडीगढ़। करमजीत परवाना :-21 जनवरी। हाल ही में शेल्बी अस्पताल, मोहाली में घुटनों के गंभीर रूमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित एक 60 वर्षीय महिला के दोनों घुटनों की सफल घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई।शनिवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, शेल्बी अस्पताल, मोहाली में वरिष्ठ ऑर्थो सर्जन डॉ. गगनदीप गुप्ता ने बताया कि महिला पिछले कुछ साल से घुटने के गंभीर दर्द, सूजन, विकृति और दोनों घुटनों में लंगड़ापन से पीड़ित थी। इस वजह से वह चल नहीं पा रही थी और सर्जरी के बाद फिर से चलने की संभावना भी काफी कम थी।डॉ. गगनदीप गुप्ता ने सर्जरी की जानकारी देते हुए बताया कि महिला के दोनों घुटनों में कुछ साल पहले दर्द हो रहा था, जिसके लिए वह पेन किलर लेती रही और फिजियोथैरेपी कराती रही। बाद में जब समस्या गंभीर हो गई और उसे चलने में भी दिक्कत होने लगी। उसे अपनी शौचालय की जरूरतों के लिए भी मदद लेनी पड़ती थी।उसने कई अस्पतालों से संपर्क किया जहां उसे सर्जरी के लिए जाने की सलाह दी गई लेकिन सर्जरी के बाद उसके सामान्य चलने की कोई गारंटी नहीं थी।बाद में उन्होंने डॉ. गगनदीप गुप्ता से संपर्क किया और उन्होंने सर्जरी कराने का फैसला किया जो सामान्य घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की तुलना में कठिन था।डॉ. गगनदीप गुप्ता बताते हैं कि रोगी के घुटनों की बहुत बहुत नाजुक थी और उसका हीमोग्लोबिन का स्तर कम था। इसलिए हमने एक बार में एक घुटने का ऑपरेशन करने का फैसला किया। पहले बाएं घुटने का ऑपरेशन किया गया। 6 महीने बाद दाहिने घुटने का ऑपरेशन हुआ। चूँकि रोगी के दाहिने पैर में पुराना ठीक हुआ फ्रैक्चर था, हमें पहले दाहिने पैर में प्लेट लगाकर पैर की विकृति को ठीक करना था। 3 महीने के बाद उनके दाहिने घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई । यह बेहद चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी।डॉ. गगनदीप गुप्ता ने बताया कि घुटने का जोड़ जाम हो गया था और हड्डियां आपस में चिपक गई थीं। उन्होंने बताया कि हमें निचली हड्डी (जिसे टिबिया कहा जाता है) को उतारने के लिए दोनों पैरों पर एक रॉड (जिसे स्टेम कहा जाता है) का इस्तेमाल करना पड़ा।सर्जरी के बाद महिला बिल्कुल ठीक है और अब बिना किसी दर्द के चल सकती है।रूमेटाइड आर्थराइटिस के बारे में बात करते हुए डॉ. गगनदीप ने बताया कि यह गठिया का इंफ्लेमेटरी रूप है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक आम तौर पर प्रभावित होती हैं। डॉ. गगनदीप ने बताया कि हड्डियाँ आपस में रगड़ने लगती हैं जो जोड़ों की गति को प्रभावित करती है और अंततः दर्द, सूजन और विकृति का कारण बनती है।