विजिलेंस के पास पहुंचा पार्किंग ठेकेदार से पौने सात करोड़ न वसूलने का ममला – शिकायत में निगम के कई अफसरों की ठेकेदार से सांठ गांठ की आशंका

चंडीगढ़ :- चंडीगढ़ के जोन 2 में 57 पार्किंग का जिम्मा संभाले ठेकेदार द्वारा पौने सात लाख की रकम न दिए जाने का मसला विजिलेंस के पास पहुंच गया है। विजिलेंस को नगर निगम के उन अफसरों पर कारवाई के लिए लिखा गया है

जिन्होंने ठेकेदार को छूट दिए रखी और उससे मंथली लाइसेंस फीस वसूल नहीं की गई। विजिलेंस को सीधे दी गई शिकायत में सेंस इनिंग एसोसिएशन के आरके गर्ग की और से कहा गया है की यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें निगम को करोड़ों रुपए की चपत लगी हो। आर्य टोल इंफ्रा के मामले में भी ऐसा ही हुआ और यहां भी निगम के अफसर ठेकेदार से पैसा वसूलने में नाकामयाब रहे। निगम के अफसरों की ठेकेदार से मिलीभगत लग रही है जिससे पब्लिक एक्सचेकर को करोड़ों की चपत लग गई। अफसरों को इस घाटे की कोई चिंता नहीं। सोमवार को निगम की बैठक में पार्किंग के ठेके और ठेकेदार द्वारा पौने सात करोड़ की राशि न दिए जाने को लेकर सवाल उठे क्योंकि मामला विजिलेंस की दहलीज पर पहुंच गया।

निगम कमिश्नर अनिदिता मित्रा ने टेंडर प्रक्रिया को लेकर अजीब जवाब दिया। उन्होंने टेंडर प्रक्रिया को लेकर कहा की इसे तैयार करने में खास विशेषज्ञता चाहिए जो निगम के पास नहीं है। उन्होंने कहा की जब से वह आई तो कई टेंडर उन्होंने खुद ड्राफ्ट किए क्योंकि इसमें कई कानूनी पहलू ध्यान रखने होते हैं। उनसे पहले क्या होता रहा उन्हें नहीं मालूम। हाउस अगर चाहेगा तो टेंडर बनाने की प्रक्रिया स्मार्ट सिटी को दे दी जाए या निगम के पास रहे इस पर फैसला हो। उन्होंने कहा की पार्षद गुरुबक्श रावत ने तो मीटिंग में पार्किंग के टेंडर स्मार्ट सिटी लिमिटेड को देने की बात उठाई क्योंकि उनके पास इसकी विशेषज्ञता है। निगम कमिश्नर ने भी पार्षद रावत की बात का अनुमोदन किया। अनिंदिता मित्रा ने ये भी कहा की आर्य टोल इंफ्रा लिमिटेड का मसला कोर्ट में है। पहले भी कई मसले कोर्ट में थे जिन पर निगम ने स्टे वेकेट करा कर ठेकेदार से राशि रिकवर की । आगे भी इस तरह के कोर्ट मसलों पर यह प्रक्रिया जारी रहेगी।

पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की पौने सात करोड़ की मंथली लाइसेंस फीस जमा न कराने को लेकर उन्होंने कहा की ठेकेदार की सिक्योरिटी मनी जब्त की जाएगी और नियम अनुसार अन्य एक्शन भी होगा। मंथली लाइसेंस फीस की राशि ठेकेदार से लेने की प्रक्रिया में भी बदलाव होगा। बता दें कि अर्थप्रकाश ने इस मसले पर कई सवाल उठाए थे और अफसरों की मिलीभगत का अंदेशा जताया था जिस पर कमिश्नर ने कहा कि जनरल आरोप लगाने की बजाए नाम लेकर बात कही जाए।