लेखक- डॉ. प्रदीप सिंह
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'परीक्षा पर चर्चा' के तहत विभिन्न समय पर छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से बातचीत करते रहते हैं। पीएम मोदी छात्रों की घबराहट और अन्य मुश्किलों को दूर करने की कोशिश करते हैं। 'परीक्षा पर चर्चा' छात्रों के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है। उनके द्वारा छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर बहुत ही सरल शब्दों में दिया जाता है। पढ़ाई के अलावा खेलों की ओर भी प्रेरित किया जाता है। ऑनलाइन माध्यम से लाखों छात्र, शिक्षक और अभिभावक कार्यक्रम में भाग लेते हैं। कोरोना महामारी के चलते ऑनलाइन परीक्षा देने जा रहे 10वीं और 12वीं के छात्र काफी तनाव में थे और प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सुझाव उनके तनाव को कम करने में काफी मददगार साबित हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जनवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पर चर्चा करेंगे। इसके लिए 81,315 छात्रों, 11,868 शिक्षकों और 5,496 अभिभावकों ने इसमें पंजीकरण कराया है। प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम के लिए उत्तराखंड के दो बच्चों का चयन भी किया गया है। इसमें देश भर के 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूली बच्चे भाग लेंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री विद्यार्थियों को सफलता का गुरु मंत्र देंगे। वहीं छात्रों को उनकी जिज्ञासा से जुड़े सवालों के जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे।
स्कूल और कॉलेज के छात्रों के साथ प्रधानमंत्री का संवाद अभियान 16 फरवरी, 2018 को शुरू किया गया था। परीक्षा पे चर्चा युवाओं के लिए तनाव मुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की एक विशेष पहल है। भारत के हर कोने में प्रतिभाशाली छात्र हैं, लेकिन उनके कौशल का पता लगाने के लिए छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए एक योग्य शिक्षक की आवश्यकता है। देश के छात्र दुनिया के बड़े देशों में जाकर वैज्ञानिक, डॉक्टर और कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होते हैं।
शिक्षा मानव व्यवहार को बदलने का विज्ञान है। जब हम औपचारिक रूप से या अनौपचारिक रूप से सीखते हैं तो हमारा ज्ञान बढ़ता है। सोच में बदलाव के साथ-साथ हमारे व्यवहार में भी बदलाव आता है। यह परिवर्तन हमारे व्यक्तित्व निर्माण का आधार है, जिससे विद्यार्थियों का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास संभव होता है। इसलिए, छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा करना आवश्यक है।
शिक्षा प्रणाली पर नजर डालें तो छात्रों के व्यवहार में रचनात्मक बदलाव लाने के बजाय परीक्षा के दिनों में, वार्षिक परिणाम के समय, एनईईटी और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में इसके विपरीत व्यवहार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। माता-पिता की अत्यधिक अपेक्षाएं, इंटरनेट और सोशल मीडिया का अनावश्यक उपयोग छात्रों के मानसिक तनाव का एक बड़ा कारण बन गया है। अधिकांश लोगों के लिए, आज शिक्षा का मुख्य उद्देश्य परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करना और परीक्षा में उच्च मैरिट प्राप्त करना है। शिक्षा व्यवस्था पर परीक्षा व्यवस्था हावी होती जा रही है। बोर्ड परीक्षा के डर से बच्चों की मौत आश्चर्यजनक है। पिछले कई वर्षों में परीक्षा के तनाव के कारण बच्चों में डर पैदा हो जाता है जिससे घबराहट बढ़ जाती है और कई बार उन्हें भयानक परिणाम का सामना करना पड़ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'परीक्षा पर चर्चा' तनाव से राहत देती है और बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करती है। इसलिए प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम को देखते हुए अभिभावकों को भी बच्चों से बात करनी चाहिए। मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि बच्चों में परीक्षा का डर एक ऐसी स्थिति पैदा कर देता है, जिससे बच्चे जीवन भर बाहर नहीं निकल पाते हैं। बच्चों पर ज्यादा अंक लाने या टॉप करने का दबाव नहीं डालना चाहिए। पीएम मोदी का कार्यक्रम परीक्षा पर चर्चा बच्चों के लिए अहम है।