रागा न्यूज़, चंड़ीगढ़।
अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बेहद अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब सरकार के उस फैसले को असांविधानिक करार दिया। जिसके तहत पंजाब सरकार ने विवाहित बेटी को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए अपात्र करार दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि विवाहित बेटी भी विवाहित बेटा के बराबर
ही पात्र है।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने अपनी नीति का समर्थन करते हुए कहा कि विवाहित बेटी अपने पिता पर आश्रित नहीं होती है और ऐसे में वह अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए पात्र नहीं है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि विवाहित बेटा परिवार से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ रह तो वह पात्र और जब बेटी अपने पति के साथ रहे तो अपात्र कैसे हुई।
न्यायपालिका को दखल देना पड़ता है
कोर्ट ने कहा कि सरकार को अपनी नीति तैयार करने का हक है और न्यायपालिका उससे यह हक नहीं छीनती लेकिन जब नीति में भेदभाव हो तो न्यायपालिका को दखल देना पड़ता है। इस मामले में केवल लिंग के आधार पर विवाहित बेटी को सरकार ने अनुकंपा आधार पर नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया है। यदि विवाहित बेटे को भी अयोग्य करार दिया गया होता तो पंजाब सरकार की यह नीति संविधान के अनुरूप सही होती।