*वनखंडी दुर्गा मंदिर अमरावती एनक्लेव पंचकूला की 21वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर कुलभूषण गोयल (मेयर पंचकूला) एवं हरगोबिंद गोयल (डायरेक्टर अमरावती ग्रुप) के परिवारों की ओर से मंदिर परिसर में 10 से 14 फरवरी तक पांच दिवसीय श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसका समय 10 से 13 फरवरी तक सांय 4:30 बजे से रात्रि 7:30 बजे तक एवं 14 फरवरी को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहेगा।
कथा के द्वितय दिवस में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या कथा व्यास साध्वी त्रिपदा भारती ने अपने विचारों में कहा कि जब-जब भी इस धरा पर पाप बढता है और धर्म की हानि होती है तब-तब ईश्वरीय शक्ति अवतार धारण करती है। मानवीय जीवन में दैवीय गुण स्थापित कर सम्पूर्ण जड़ता को समाप्त करने के लिए एवं दैविय प्रेम के अर्थो को स्थापित करने के लिए वो सर्वशक्तिमान परमात्मा निर्गुण से सगुण रूप धारण कर इस धरा पर आते हैं। इसी प्रकार जब त्रेतायुग में रावण का अत्याचार बढ़ गया था तब प्रभु श्रीराम जी के रूप में धरती पर अवतार धारण करते हैं। लेकिन विचार करने योग्य बात यह है कि जब ईश्वर धरती पर अवतार धारण करके आता है तो कितने लोग उसे पहचान पाते हैं। प्रभु के साथ रहने वाली माता कैकेयी, मंथरा उन्हें पहचान नहीं पाई। रावण ने जब प्रभु को देखा उन्हें वनवासी कहकर संम्बोधित किया। लेकिन माता शबरी ने प्रभु श्री राम को प्रथम भेंट में ही पहचान लिया था। इसका कारण यह है कि हम इन स्थूल नेत्रों से प्रभु को नहीं पहचान सकते।
मां शबरी के पास दिव्य नेत्र था जो उन्हें गुरू मतंग मुनि ने प्रदान किया था। रावण, कैकेयी, मंथरा आदि के पास यह दिव्य चक्षु नहीं था। इसलिए दिव्य चक्षु का खुलना आवश्यक है जिसके आधार पर हम उस सगुण शक्ति को पहचान सकें। यह दिव्य चक्षु केवल एक पूर्ण सतगुरू ही प्रदान कर सकता है। इसलिए जीवन में एक पूर्ण सतगुरू की जरुरत है जो ऐसा नेत्र प्रदान करे जिससे हम ईश्वर को घट में देख सकें। कथा के दौरान साध्वी चंदरप्रभा भारती, साध्वी नवप्रीत भारती, साध्वी अखंडज्योति भारती, साध्वी ममतामई भारती ने सुमधुर भजनों का गायन कर एवं साध्वी भगवती भारती, साध्वी क्रालिका भारती, साध्वी हरमीत भारती ने वाद्ययंत्रों का वादन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। द्वितय दिवस कथा को विराम प्रभु की पावन आरती दिया गया।