हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने पंचकूला के सेक्टर 28 सामुदायिक केन्द्र का नामकरण सावित्री बाई फुले के नाम पर किया*

*-सावित्री बाई फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि**- सावित्री बाई फुले का जन्म भारत के लिए एक उजाले की किरण थी-ज्ञानचंद गुप्ता*पंचकूला, 3 जनवरी- हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस के अवसर पर पंचकूला के सेक्टर 28 के 17वें सामुदायिक केन्द्र का नामकरण उनके नाम पर किया। इसके उपरांत उन्होंने सावित्री बाई फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पंचकूला नगर निगम महापौर कुलभूषण गोयल ने भी पुष्पांजलि अर्पित की। गुप्ता ने अपने संबोधन में हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जो सदैव इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहती हैं। 3 जनवरी का यह दिन भी ऐसा ही है। आज के दिन 1831 में भारत की पहली महिला शिक्षिका, कवियित्री और समाज सुधारक सावित्री बाई फुले ने जन्म लिया। गुलामी के समय में उनका जन्म लेना भारत के लिए एक उजाले की किरण थी। सावित्री बाई फुले ने महिलाओं के अधिकार और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि देश के इतिहास में जो स्थान महात्मा गांधी व कस्तूरबा गांधी का है वही स्थान सावित्री बाई फुले व उनके पति ज्योति फूले दंपत्ति को भी प्राप्त है। उन्होंने बताया कि सावित्री बाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली महिला प्रिंसीपल और पहले किसान विद्यालय की संस्थापक थी। उन्होंने अपने पति के साथ मिल कर विभिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ एक महिला स्कूल की स्थापना की। गुलामी के उस समय में स्कूल की स्थापना करना बहुत ही कठिन कार्य था। इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि सावित्री बाई फुले की देख-रेख में 17 बालिका विद्यालय शुरू किए गए। सावित्री बाई फुले ने गुलामी के उस दौर में न केवल स्वयं शिक्षा ग्रहण बल्कि ये विद्यालय खोल कर बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। सावित्री बाई फुले का जीवन हम सब के लिए प्रेरणादाई है। उन्होंने शताब्दियों से समाज में फैली बुराईयों के खिलाफ आवाज बुलंद की। उन्हें हम नूतन सामाजिक क्रांति की अग्रदूत भी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। देश में प्लेग की बीमारी बुरी तरह फैल गई थी। सावित्री बाई फुले ने प्लेग के मरीजों की घर-घर जाकर सेवा की और इसी दौरान उन्हें भी प्लेग हो गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। ऐसी महान्